मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का साक्षात्कार ,Interview of Leader of Opposition in Madhya Pradesh Assembly Umang Singhar

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हमारे विधायकों में जनता की आवाज उठाने का जोश हैःउमंग सिंघार


✍️सुनील शर्मा- विभूति फीचर्स
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा है कि विधानसभा में कांग्रेस को उपाध्यक्ष का पद देकर फिर से परम्परा कायम की जाना चाहिए। उनका मानना है कि विधानसभा में संख्या बल मायने नहीं रखता, महत्वपूर्ण यह होता है कि विपक्ष जनता की आवाज कितने प्रभावी तरीके से उठाती है। अपने से सीनियर कांग्रेस विधायकों को लीड करने में उन्हें कितनी कठिनाई होगी, इस पर भी उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी। प्रस्तुत है विभूति फीचर्स के लिए वरिष्ठ पत्रकार सुनील शर्मा से बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल- आपके पास सदन में संख्या बल कम है, भाजपा के पास बहुत ज्यादा है, कैसे अपनी आवाज उठाएंगे।
जवाब- संख्या बल महत्वपूर्ण नहीं होता है। जनता की आवाज उठाने के लिए युवा विधायक हैं, वरिष्ठ विधायक हैं। सभी में जनता की आवाज सदन के अंदर उठाने का जोश है।आपको भी यहां पर कांग्रेस की ओर से जनता की आवाज सुनाई देगी।
सवाल- वरिष्ठ विधायक भी आपके सदन में मौजूद हैं, सामंजस्य की कमी तो नहीं होगी?
जवाब- नहीं ऐसा नहीं है, विधायक दल की भी हमारी बैठक हुई। सभी ने सामंजस्य से काम करते हुए जनता की आवाज सदन से लेकर सड़क तक मजबूती से उठाने की बात कही है।
सवाल- उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस मांग रही है,नहीं मिला तो क्या करेंगे?
जवाब- हमने भाजपा से अनुरोध किया है कि जो परम्परा रही है वह कायम रहे। हमने विधानसभा अध्यक्ष का चयन सर्वसम्मति से करवाया। ऐसा व्यवहार अब भाजपा को भी उपाध्यक्ष पद के लिए करना चाहिए। यह पद कांग्रेस को दिया जाना चाहिए।
सवाल- कमलनाथ सरकार के दौरान यह परम्परा कांग्रेस ने ही तोड़ी थी?
जवाब- परम्परा वापस जीवित भी हो सकती।
सवाल- मतलब पिछले विधानसभा में कांग्रेस ने इस परम्परा को तोडकर गलती कर दी थी?
जवाब- मैं यह नहीं कह रहा कि उस समय कोई गलती हुई थी। तब की स्थिति कुछ अलग थी। नेता प्रतिपक्ष होने के बाद मैं अब यह कहना चाहता हूं कि अब यह परम्परा फिर से शुरू होना चाहिए।
सवाल- आपने विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि सत्र की अवधि लंबी होना चाहिए?
जवाब- विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आते हैं, वे विधानसभा में यदि नहीं बोल पाएंगे तो कैसे काम चलेगा। ऐसे तो वे अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ के विधायकों की इच्छा है कि सत्र की अवधि लंबी होना चाहिए।
सवाल- जीतू पटवारी ने जब पीसीसी चीफ का पदभार लिया तो बड़े नेता दिखाई नहीं दिए?
जवाब- सभी का सहयोग और मार्गदर्शन है। कमलनाथ बाहर हैं, दिल्ली में राज्यसभा का सत्र चल रहा है। इसलिए दिग्विजय सिंह भी नहीं आ सके।
सवाल- कांग्रेस में ऐसा पहले हुआ नहीं, निवृत्तमान अध्यक्ष तो मौजूद रहते ही थे?
जवाब- आप समझ सकते हैं कि वे व्यस्त थे, इसलिए नहीं आ सके।(विभूति फीचर्स)

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