दुनिया भर में मनाया जाता है क्रिसमस , Christmas is celebrated all over the world

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✍️विनोद कुमार गोयल (एडवोकेट)- विनायक फीचर्स

सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही ऐसा देश है जहां पर विभिन्न धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इस विशालकाय रुपी राष्ट्र की छाया में अनेक धर्म और जातियों के लोग अपने-अपने धर्म और पर्वों को बड़ी ही श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाते चले आ रहे हैं।

भारत में पच्चीस दिसम्बर बड़े दिन के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। प्रभु यीशू का जन्म येरुशलम के पास बेतलहम नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम एवं पिता का नाम युसूफ था। इस पावन पर्व को भारत में ही नहीं विदेशों में भी बड़े धूमधाम व उत्साह से मनाया जाता है। जिसकी तैयारी 25 दिसम्बर आने से काफी पूर्व ही कर ली जाती है।

अमेरिका के लोगों को क्रिसमस के त्यौहार का बहुत पहले से ही इंतजार रहता है। यह एक ऐसा समय होता है जब चारों और खुशी का ही आलम छाया रहता है। खिलौनों की दुकानों, जनरल स्टोरों पर भीड़ लगी रहती है। दिसम्बर आने से पहले ही दुकानें सज-धज जाती हैं। राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस भी खूबसूरती के साथ सजाया जाने लगता है। अंकल 'जोÓ और आंटी मिनी के लिए सुंदर-सुंदर उपहार की खोज की जाती है। बच्चों के बहुत प्यारे होते हैं ये अंकल और आंटी। सेंट्रा क्लॉज बच्चों को उपहार देता है और अंत में बड़ी धूमधाम से सम्पन्न होता है क्रिसमस का त्यौहार।

फिलिस्तीन में इस अवसर पर कई दिन पहले से दूर दराज के मित्रों एवं रिश्तेदारों को बधाई पत्र भेजने का सिलसिला शुरु हो जाता है। बड़े दिन पर गिरिजाघरों को बल्बों की झालरों एवं अनेक प्रकार की रोशनी से सजाया जाता है। शाम को गिरिजाघर में इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से प्रार्थना का आयोजन किया जाता है। प्रभु ईसा मसीह के जन्म के उपलक्ष्य में केक काटा जाता है और उसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस दिन क्रिसमस वृक्ष तरह-तरह से उपहार, खिलौने एवं फलों से सजाया जाता है। जिन्हें बाद में गरीब बच्चों को दे दिया जाता है। यहां के लोगों की आम धारणा है कि इस दिन रात के समय एक सफेद दाढ़ी, बाल एवं मूंछों वाला देवदूत आता है जो गरीबों की सहायता करता है। जिसे 'सांताक्लांज' कहते हैं। 

चेकोस्लोविकिया में क्रिसमस का त्यौहार मनाने का तरीका अन्य देशों से कुछ भिन्न है, किंतु है बड़ा उत्साहवर्धक। यहां के लोग बड़े दिन से लगभग एक सप्ताह पहले से ही अनेक दिलचस्प कार्यक्रमों का आयोजन करना प्रारंभ कर देते हैं। बड़े दिन वाली शाम को एक सुसज्जित रथ पर ईसा मसीह की मूर्ति को अनेक उपहारों एवं खिलौनों से सजा कर एक भारी जुलूस के साथ निकाला जाता है। जुलूस में ईसाईयों के अतिरिक्त अन्य धर्मों के लोग भी होते हैं। जहां पर जुलूस समाप्त होता है वहां सभी लोग जाति धर्म का भेदभाव त्याग कर आपस में गले मिलते हैं बाद में सामुहिक भोज का आयोजन होता हैं। प्रभु ईसा मसीह की मूर्ति पर लटके उपहारों एवं खिलौनों को बच्चों में बांट दिया जाता है।

थाईलैंड में क्रिसमस के त्यौहार पर घरों की सफाई और पुताई विशेष रूप से की जाती है बड़े दिन वाली संध्या को लोग एक दूसरे का सत्कार करते हैं। क्रिसमस ट्री सजाया जाता है तथा बच्चों को उपहार वितरित किये जाते हैं। कुल मिलाकर थाईलैंड में क्रिसमस का त्यौहार दिवाली से मिलता जुलता मनाया जाता है।

जापान में क्रिसमस का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर जापान में गिरिजाघरों तथा विभिन्न सार्र्वजनिक स्थानों पर विशेष सभाओं का आयोजन होता है एवं प्रभु ईसा मसीह के उपदेशों का पाठ किया जाता है। प्रभु ईसा मसीह के नाम पर अनेक लाभकारी योजनाएं बनायी जाती है एवं क्रियान्वित होती हैं।

सेंट निकोलस डे

प्राचीन काल में क्रिसमस इंग्लैंड में 6 दिसम्बर ही से मनाया जाता था। 6 तारीख को सेंट निकोलस डे कहते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन एक लड़के को पादरी चुनने की प्रथा थी जिसे पादरी के पूरे अधिकार प्राप्त होते थे इसे पादरी के कपड़े पहनाये जाते थे। पादरी की तरह ही इसका जुलूस निकाला जाता था परंतु दुर्भाग्य से इस लड़के का देहांत उसके पादरी रहने तक के दिनों ही में हो जाता था और उसके शव को पादरियों की तरह दफनाया जाता था। यह लड़का 25 दिसम्बर तक पादरी रह सकता था। इस दिन को 'चिल्ड्रनमास' कहते थे। काफी समय तक लड़के को पादरी चुनने की प्रथा चलती रही। कुछ समय बाद रानी एजिलाबेथ ने यह प्रथा बंद करवा दी।

सेंट निकोलस एशिया माइनर के एक शहर में प्रमुख पादरी थे। लोगों का यह विश्वास था कि यह कुंवारी लड़कियों, बच्चों, नाविकों और विद्यार्थियों के संरक्षक थे। ये बहुत धनवान व्यक्ति थे और एक गरीब आदमी को जिसकी तीन लड़कियों का अर्थाभावके कारण विवाह नहीं हो रहा था। उन्होंने सोने की तीन थैलियां भेंट में दी थी। इसलिए सेंट निकोलस डे के पहले दिन रात को प्राय: लोग अपने बच्चों के जूतों में भेंट आदि का सामान रख दिया करते हैं। सुबह जब बच्चे अपने जूते देखते तो मां-बाप उन्हें बता देते कि यह बस सांता क्लॉज की कृपा है जो बच्चों पर विशेष दया करते हैं।

बच्चों द्वारा घर के बाहर रात में मोजे टांगने की प्रथा का कारण यह है कि 'सांता क्लॉज' रात में उनके मोजे भर जाएंगे। सुबह को यह होता भी है क्योंकि रात के समय उनके माता-पिता उन मोजों में खिलौने और खाने की चीजें भर दिया करते हैं ताकि बच्चों का विश्वास न टूटे।

एक दूसरी कहानी यह है कि एक महाशय ने अपने तीन बच्चों को यूनान की राजधानी एथेंस पढऩे भेजा। उसने उन्हें आदेश दिया कि वे रास्ते में सेंट निकोलस से मिल लें। लेकिन जिस सराय में वे रात को ठहरे हुए थे वहां किसी बदमाश ने उनकी हत्या कर दी और उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके एक टब में डाल दिये।

 निकोलस साहब को स्वप्न में यह बात मालूम हो गयी। वह सराय में गये और उसके मालिक से सारी बातें कबुलवा लीं। सेंट निकोलस ने टब के ऊपर क्रास का निशान बनाया और सभी बच्चे जीवित हो उठे।

बै्रसब्रिज हाल में क्रिसमस

वर्षों पूर्व क्रिसमस पर्व पर 24 तारीख का सब लोग मिलकर मार्शशायर के ब्रैसब्रिजहाल में जाकर बैठते और भट्टी की आग में हाथ सेंकते। उसके बाद सब मिलकर रात मे दूध में भीगे हुए केक खाते जिसमें तरह-तरह के मसाले मिले होते, बाद में वे तरह-तरह के खेलों और नाच गानों में भाग लेते।

इस दिन वहां के नवयुवक अपनी पोशाकों में सजे तरह-तरह के ग्रामीण नृत्य करते है । यह उस काल के नृत्य की याद दिलाता है। जब रोमन लोगों का इंग्लैड पर राज्य था।

इंग्लैंड में 31 दिसम्बर की रात को 11 बजे गिरजों में 'वाच नाईट सर्विस' होती है। जब घंटियां बजती हैं तो लोगों को पता चलता है कि साल बीत रहा है और उन्हें ख्याल होता है कि आने वाला नया साल हर हालत में विगत वर्ष से अच्छा होना चाहिए।

शुरु में घंटियां धीरे-धीरे शोकपूर्ण स्वर में बजती हैं ऐसे समय में सबको विगत वर्ष में अपने खोये हुए साथियों और सम्बंधियों की याद हो जाती है। किंतु फिर घंटे तेज स्वर में बजती है और सब मन में उल्लास लिये नये वर्ष के स्वागत के लिये तत्पर हो जाते हैं।

इन देशों के अलावा भी अनेक अन्य देशों में क्रिसमस का पावन पर्व बड़े ही हषोल्लास एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रभु ईसा मसीह की शिक्षाएं ईसाईयों के लिये नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के लिए कल्याणकारी हैं। हम सबको उनके जीवन से शिक्षा लेकर छल कपट और स्वार्थ से दूर रहना चाहिए। (विनायक फीचर्स)
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