धनबाद मंडल कारा के जेलर एवं सभी पांचो कक्षपालों को निलंबित नहीं तुरंत सेवा से ही बर्खास्त करें हेमंत सोरेन सरकार ताकि आने वाले दिनों में ऐसी घटना को अंजाम देने से पूर्व भ्रष्ट काहिल पदाधिकारी इससे सबक ले सके

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विजय शंकर नायक

उपरोक्त बातें आज झारखंड बचाओ मोर्चा के वरिष्ठ नेता सह पुर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही । इन्होंने आगे कहा कि धनबाद जेल में किए गए हत्या के दोषी हथियारों को तुरंत फास्ट ट्रैक के माध्यम से अभिलंब सजा सुनिश्चित किया जाना चाहिए यह राज के लिए गंभीर विषय है कि हाई सिक्योरिटी वाले जेल में फायर आर्म्स पिस्तौल एक नहीं दो दो कैसे पहुंच न्यायिक हिरासत में बंद आरोपी को कैसे गोली मार कर हत्या कर दी गई जेल की सुरक्षा में कैसे चूक हुई उसके क्या कारण थे इसकी जांच उच्च स्तरीय सेवा निर्मित पांच सदस्य न्यायाधीशों से कराया जाना चाहिए और धनबाद के जेलर तथा सभी पांचो कक्षपालों के निजी चल अचल संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए।
श्री नायक ने आगे कहा कि झारखंड के जिलों की स्थिति भी बहुत ही खराब है राज्य में कुल 31 जेल है जिसमें 802 महिला समेत कुल 19041 बंदीयो को रखा गया है इनमें 5248 सजायाफ्ता कैदी है, और 13793 विचाराधीन कैदी बंदी हैं राज्य मे 7 केंद्रीय कारागार है 16 जिला जेल 7 सबडिविजनल और एक ओपन जेल है, इन 31 जेलों में 19 जेल में क्षमता से अत्यधिक बंदी हैं चतरा व लातेहार जिला में लगभग तीन गुना अधिक कैदी बंद है 16 जिला जेल में क्षमता से लगभग तीन गुना अधिक बंदी बंद है जबकि गुमला में दोगुना से अधिक कैदी बंद है सेंट्रल जेल देवघर ,दुमका घाघीडीह व मेदिनीनगर की स्थिति भी अच्छी नहीं है देवघर में 335 की क्षमता के विरुद्ध 452 कैदी बंद है इनमें से 126 सजायाफ्ता है और 326 विचाराधीन, दुमका में 709 सजायाफ्ता और 549 विचाराधीन कैदी है रांची के कोटवार केंद्रीय कारागार में सबसे अधिक 3355 बंदी है जिसमे 1388 सजायाफ्ता है और दूसरे नंबर पर हजारीबाग का सेंट्रल जेल है जहां 1821 में से कुल 1078 सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 1036 विचाराधीन कैदी है यहां कुलबंदी 1885 है जो चिंता का विषय है । राज्य सरकार और सभी न्यायालयो को इस बिन्दु पर गंभीर विचार करना चाहिए ताकि कैदियों की संख्या कम किया जा सके ।
श्री नायक ने यह भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति वर्गों के खिलाफ एवं बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के मामले मामलों में वृद्धि हुई है , जो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट वर्ष 2022 में इस बात की पुष्टि की है साथ ही साथ झारखंड पुलिस की कार्रवाई के बाद सजा का प्रतिशत मात्र 29.4 फ़ीसदी है जो काफी कम और चिंताजनक है साथ ही साथ पुलिस सहायता केंद्र डायल 112 की भी स्थिति बहुत ही दयनीय है , पुलिस तुरंत रिस्पांस नहीं करती है जो गंभीर विषय है इन बिंदुओं पर सरकार तुरंत कार्रवाई करें और जनता को न्याय देने की दिशा में ठोस कार्रवाई करें तभी जनता का भला होगा और अपराधियों के अपराध में लगाम लगेगी ।

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