दलित, आदिवासी, मूलवासी एंव अल्पसंख्यक समाज के विश्वास के कसौटी में इन चार वर्षो में खरा नहीं उतर सकीं हेमंत सोरेन सरकार

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विजय शंकर नायक

उपरोक्त बातें 
आज संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव-सह- झारखंड, छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने हेमंत सोरेन सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल समाप्त होने पर आज अपने प्रतिक्रिया में कहीं । इन्होंने इस संदर्भ में आगे कहा की हेमंत सोरेन के कार्यकाल में दलित, महिला, अल्पसंख्यक एवं मूलवासी समाज की जो सपने थे उनको पूरा नहीं किया जा सका राज्य के विभिन्न महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष रूप से जनता से जुड़े हुए बोर्ड निगमों का गठन नहीं हो सका जिसमें मुख्य रूप से इन चार वर्षो में अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं करके,विदेशो मे शिक्षा ग्रहण करने वाली योजना में एक भी अनुसूचित जाति के छात्रों को भागीदारी नहीं दिलाना, अनुसूचित जाति समाज से कैबिनेट में मंत्री नहीं बनाना दलित समाज के साथ अन्याय भरा कदम रहा तो दूसरी ओर महिला आयोग का गठन नहीं करना महिलाओं को न्याय से वंचित करने के समान था । उसी तरह सूचना अधिकार कानून से डरी सरकार चार वर्ष तक सूचना आयोग को मृतप्राय बनाए रखी जिससे कि सरकार की कमियों का सूचना अधिकार कानून से उजागर नहीं किया जा सके । लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग को डेड बना कर छोड़ दिया गया ।
श्री नायक ने आगे कहा की सरकार घोषणा वीरों की तरह काम करती रही और सिर्फ विज्ञापनों में खर्च करते रही मगर जनता को लाभ दिलाने में असफल रही ।
राज्य में 80% महिलाओं को एनीमिया खुन की कमी जैसे रोग होते गए बच्चों में कुपोषण कम वजन के बच्चों की संख्या बढ़ती गई पलायन का दर भी बड़ा 93% आदिवासी समाज के लोग पलायन होने को मजबूर रहे सरकार पलायन को रोकने में विफल रही यह सरकार चिंटू पिंटू पांडे की सरकार रही । दलित आदिवासी मूलवासी समाज इस सरकार से दूर रहे किसी भी वर्गों के साथ न्याय नहीं किया गया अल्पसंख्यकों पर डायरेक्ट छाती पर गोली मारी गई जांच कमेटी बनी मगर जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं दिया गया , सिर्फ भारतीय जनता पार्टी सरकार की तरह जुमलेबाजी करती रही और इन चार वर्षो में सत्ता को बचाने में ही इनका समय व्यतीत होता रहा।
श्री नायक ने आगे कहा जिन वादों एवं सपनों को दिखाकर सरकार बनाई गई थी उन वादों को कचरा पेटी में डाल दिया गया कोई भी वादा अगर सरकार पूरा की है तो वह जनता को बताने का काम करें कि हमने इन-इन वादों को पूरा करने का काम किया है सरकार जातीय आधारित जनगणना करने में विफल रही ,एस.टी, एससी, ओबीसी के आरक्षण को नहीं बढ़ा सकी ,खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति को जमीनी स्तर पर बना कर लागू नही कर सकी, पेसा कानून का सिर्फ नियमावली ही बनाया गया मगर पेसा कानून बनाकर लागू नहीं कर सकी , सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू नहीं कराया गया झारखंड के हासा-भाषा पर ध्यान नहीं दिया गया सिर्फ सरकार नियमावली बनाने में सरकार व्यस्त रही मगर कोई भी जनहित के कानून को नहीं लागू कर सरकार सिर्फ इन 4 वर्षों में सत्ता कैसे बची रहे इसी पर ही विशेष ध्यान देने का काम किया और कुर्सी से चिपकने का काम किया । ऐसी जन विरोधी सरकार को अब सत्ता में बैठने का कोई अधिकार नहीं है ।

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