दलित आदिवासी समाज के सुरक्षा कवच के रूप में बने कानून एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर दरोगा एवं इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी के द्वारा जांच किए जाने की हेमंत सरकार के प्रस्ताव को कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

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विजय शंकर नायक


उपरोक्त बातें आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने एसटी- एससी एक्ट की जांच दरोगा एवं इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी के द्वारा किए जाने के प्रस्ताव पर अपने प्रतिक्रिया में कहीं । इन्होंने साफ शब्दों में कहा की एसटी एससी एक्ट का सुपरविजन करने का अधिकार पूर्व में डीएसपी एवं वर्तमान में भी डीएसपी को है ऐसे में मुख्यमंत्री के द्वारा किस परिस्थिति में इंस्पेक्टर एवं दरोगा से सुपरविजन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में रख रहे हैं जो समझ से परे है और इसकी मै कड़े शब्दों में इस प्रस्ताव का निंदा करता हूं साथ ही साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह मांग करता हूं कि वह एसटीएससी एक्ट में जो प्रोविजन केंद्रीय सरकार के द्वारा किया गया है उसको छेड़छाड़ करने का काम ना करें अन्यथा अंजाम इसका बुरा होगा और इसके खिलाफ आने वाले दिनों में दलित आदिवासी समाज के लोग एकजुट होकर गोलबंद होकर उग्र आंदोलन करने का काम करेंगे जिसकी जिम्मेवारी हेमंत सरकार की होगी ।
श्री नायक ने आगे कहा की एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार के द्वारा एसटी एससी एक्ट में किए गए पूर्व में संशोधन के खिलाफ झारखंड में उसके विरुद्ध किए गए आंदोलन मैं एसटी एससी समाज के युवाओं पर जिन पर केस किया गया था वह केस हेमंत सोरेन के द्वारा उठाने का काम किया जाता है और दूसरी तरफ हेमंत की सरकार एसटी-एससी एक्ट को कमजोर करने के दिशा में सरकार के द्वारा कार्य किया जाता है । सरकार के प्रस्ताव के तहत एसटी-एससी एक्ट के तहत किए गए केसो में दरोगा एवं इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी के द्वारा जांच किया जाना है जो दलित-आदिवासी समाज के खिलाफ है और दलित आदिवासी समाज इस प्रस्ताव को कभी भी स्वीकारने का काम नहीं करेगी और आने वाले दिनों में सरकार के विरुद्ध उग्र आंदोलन किया जाएगा 
श्री नायक ने यह भी स्पष्ट शब्दों में कहा की मुख्यमंत्री किसके बहकावे में आकर दलित आदिवासी समाज का सत्यानाश करने पर तूले है जो समझ से परे है एसटी- एससी एक्ट में डीएसपी या आईपीएस स्तर के पदाधिकारी से जांच से कम कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा जो पूर्व में जो व्यवस्था थी उसी व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में सरकार काम करें और एसटी-एससी एक्ट को शक्ति से लागू करने हेतु उस दिशा में काम करें तो सरकार का भला होगा अन्यथा सरकार को इसके खिलाफ गंभीर परिणाम भुगतने होंगे ।

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