स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण एवं साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि मनाई गई ,The death anniversaries of freedom fighter Jayaprakash Narayan and litterateur Munshi Premchand were celebrated.

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चांडिल : सराइकेला खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत लुपुंगडिह स्थित नारायण प्राइवेट आई टी आई संस्थान में स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण एवं साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने कहा की प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले उत्तर प्रदेश के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) की आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। प्रेमचंद के माता-पिता के सम्बन्ध में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि- "जब वे सात साल के थे, तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। जब पन्द्रह वर्ष के हुए तब उनका विवाह कर दिया गया और सोलह वर्ष के होने पर उनके पिता का भी देहान्त हो गया। मुंशी प्रेमचंद अपने शादी के फैसले पर पिता के बारे में लिखते हैं की "पिताजी ने जीवन के अंतिम वर्षों में एक ठोकर खाई और स्वंय तो गिरे ही, साथ में मुझे भी डुबो दिया और मेरी शादी बिना सोचे समझे करा दिया| उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। 
तथा संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे ने स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण जी के बारे में दो शब्द कहा (11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। 1998 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सिताब दियारा में 11 अक्टूबर 1902 में एक चित्रगुप्तवंशी कायस्थ परिवार में हुआ था Iबिहार बृज किशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती के साथ इनका विवाह अक्टूबर 1920 में हुआ। वे डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये। 1929 में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका सम्पर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहर लाल नेहरु से हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। 1932 में गांधी, नेहरु और अन्य महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में संग्राम का नेतृत्व किया। अन्ततः उन्हें भी मद्रास में सितम्बर 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया ।वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता। 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जे॰ पी॰ सहित ६०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गयी। जेल में जे॰ पी॰ की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित थे वकील निखिल कुमार,अरुण पांडे,शांति राम महतो,पवन महतो, देबकृष्ण महतो, अजय मण्डल,कृष्ण पद महतो,गौरव महतो, सिशुमती दास, निमाई मंडल,आदि मौजूद रहें।

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