राज्य के सरकारी स्कूलों में चार महीने बाद भी 23 लाख विद्यार्थियों को पोशाक और स्वेटर नहीं मिलना राज्य के गरीब विद्यार्थियों का शोषण है ,जो क्षमा योग्य नहीं है

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विजय शंकर नायक

हेमंत सरकार तुरंत संज्ञान ले और कर्तव्य मुक्त अधिकारियों पर कार्रवाई करें


उपरोक्त बातें आज झारखंड बचाओ मोर्चा के केंद्रीय संयोजक सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने 23 लाख विद्यार्थियों को पोशाक और स्वेटर नहीं मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहीं । इन्होंने आगे कहा कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र चालू हुए चार माह से अधिक हो चुके हैं धीरे-धीरे ठंड भी बढ़ने लगी है । उसके बावजूद 23 लाख विद्यार्थियों को पोशाक और स्वेटर नहीं मिलना गरीब बच्चों के साथ अन्याय है जो क्षमा करने योग्य नहीं है। यह राज्य के गरीब बच्चों का दुर्भाग्य है कि उन्हें कभी भी कोई भी सरकार हो समय पर कभी किताब नहीं देती तो कभी ड्रेस नहीं दिया जाता तो कभी बैग पोशाक और स्वेटर ही कभी ससमय दिया जाता है ।सभी सरकारों की मंशा गरीब सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राओं के प्रति ठीक नहीं रही है जिसकी मोर्चा कङे शब्दों में निंदा करता है।
श्री नायक ने आगे कहा कि जब झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद कि ओर से इस मद में जुलाई में ही सभी जिलों को (209 करोड़) की राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है ज्ञातव हो कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के द्वारा इस वर्ष राज्य के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले कुल 34,93, 402 विद्यार्थियों को पोशाक और स्वेटर दिया जाना है । जबकि अभी तक केवल 11, 08 , 883 विद्यार्थियों को ही पोशाक के लिए राशि दी जा चुकी है और 23,84, 569 बच्चे आज तक राशि से वंचित है । हालात इतने खराब है कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने सभी जिलों के पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया था की 30 सितंबर तक सभी बच्चों को शत प्रतिशत बच्चों को पोशाक उपलब्ध करा दिया जाए , इसके बावजूद बच्चों को पोशाक और स्वेटर उपलब्ध नहीं कराया गया है जो एक गंभीर निंदनीय विषय है जिसकी जितना निंदा की जाए कम है ।
श्री नायक ने हेमंत सरकार से अपील अनुरोध किया कि वह इस विषय पर अविलंब संज्ञान ले तथा दोषी पदाधिकारी को चिन्हित कर कार्रवाई करें और अविलंब छठ पूजा के बाद युद्ध स्तर पर सभी जिलों के 23 लाख बच्चों को पोशाक और स्वेटर उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस पहल करें और भविष्य में ऐसी रणनीति बनाई जाए कि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो और समय पर सरकारी विद्यालय के विद्यार्थियों को किताब ,जूता, बैग , ड्रेस, स्वेटर उपलब्ध हो सके ताकि गरीबों के बच्चे भी राष्ट्र के मुख्य धारा से जुड़ सके ।

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